Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता में हाल ही में हुई डॉक्टर की हत्या से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। इस मामले को लेकर अदालत में सुनवाई चल रही है, जिसमें सरकारी सुरक्षा और अस्पतालों में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। ममता बनर्जी सरकार इस केस में विवादों में घिर चुकी है। “Kolkata Doctor Murder Case” ने न सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे देश में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न की है।
Kolkata Doctor Murder Case: हत्या की पृष्ठभूमि
कोलकाता के एक प्रमुख अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की हत्या के बाद से राज्य में हंगामा मचा हुआ है। डॉक्टर की हत्या कथित तौर पर अस्पताल के ही एक व्यक्ति द्वारा की गई थी, जो अस्पताल में स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था। इस घटना के बाद से जूनियर डॉक्टरों ने अस्पतालों में काम करने से इनकार कर दिया और राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं।
अदालत में सरकार की प्रतिक्रिया
कोलकाता हाई कोर्ट में चल रहे इस केस की सुनवाई के दौरान, ममता सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राज्य का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें पुलिस चौकी स्थापित की गई है और CISF (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स) को तैनात किया गया है।
हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किए कि सुरक्षा उपायों के बावजूद ऐसी घटनाएं कैसे हो रही हैं। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या अनुबंध पर नियुक्त किए गए सुरक्षा कर्मियों के माध्यम से डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, खासकर जब इनमें से कई अनुबंध कर्मियों की पृष्ठभूमि की जांच भी पूरी नहीं होती।
डॉक्टरों का असंतोष
“Kolkata Doctor Murder Case” के बाद से 10,000 से अधिक जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। वरिष्ठ डॉक्टर भी इस घटना से आहत हैं और उन्होंने डॉक्टरों के अधिकारों और सुरक्षा की मांग को जोरदार तरीके से उठाया है। अदालत में यह कहा गया कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा बेहद कमजोर है, खासकर रात की शिफ्ट में काम करने वाले महिला डॉक्टरों के लिए।
सरकार की ओर से यह बताया गया कि अस्पतालों में पहले से मौजूद 232 सुरक्षा गार्डों के अतिरिक्त 85 नए सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति की जा रही है। इसके बावजूद, डॉक्टरों का कहना है कि जब तक अस्पतालों में पुख्ता सुरक्षा उपाय नहीं किए जाते, तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।
सरकार के द्वारा उठाए गए कदम
ममता सरकार ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 28 प्रमुख सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। इनमें से 18 अस्पतालों की सुरक्षा का जिम्मा जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है, जबकि कोलकाता के 10 बड़े अस्पतालों की सुरक्षा का जिम्मा कोलकाता पुलिस के आयुक्त को दिया गया है।
सरकार ने यह भी बताया कि डॉक्टरों के लिए 732 नए पुरुष और 444 महिला ड्यूटी रूम बनाए गए हैं। इसके अलावा, डॉक्टरों के आराम और सुरक्षा के लिए नई टॉयलेट सुविधाएं और विश्राम कक्ष बनाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर, 7 से 14 दिनों के भीतर इन सभी व्यवस्थाओं को लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।
अनुबंधित सुरक्षा कर्मियों की चुनौती
Kolkata Doctor Murder Case के दौरान एक बड़ा मुद्दा अनुबंध पर नियुक्त किए गए सुरक्षा कर्मियों को लेकर उठाया गया। अदालत ने सवाल किया कि क्या अनुबंधित कर्मियों के जरिए डॉक्टरों की सुरक्षा की जा सकती है? अनुबंध पर नियुक्त किए गए सुरक्षा कर्मियों की पृष्ठभूमि की जांच और प्रशिक्षण को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। खासकर महिला डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई, क्योंकि कई अस्पतालों में इन सुरक्षा कर्मियों के बारे में डॉक्टरों को पूरी जानकारी नहीं होती है।
सरकार की ओर से बताया गया कि इन सुरक्षा कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है और इनकी नियुक्ति के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। साथ ही, CISF के जवान भी अस्पतालों में तैनात किए गए हैं, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके।
अदालत के निर्देश
कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अनुबंधित सुरक्षा कर्मियों के अलावा स्थायी पुलिस बल तैनात किया जाए, ताकि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
“Kolkata Doctor Murder Case” के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा केवल सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने से नहीं होगी, बल्कि इसके लिए व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। अदालत ने इस केस में आगे की सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित की है, जब राज्य सरकार को और अधिक ठोस कदम उठाने की उम्मीद है।
“Kolkata Doctor Murder Case” ने न सिर्फ राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसने देशभर के डॉक्टरों के बीच असुरक्षा की भावना भी पैदा की है। डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को हल करने के लिए ममता सरकार को अदालत के निर्देशों का पालन करना होगा और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना होगा।
आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार किस तरह से इस मामले को सुलझाती है और डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए प्रेरित करती है। यह मामला देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि उनकी सुरक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए।
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