नाम परिवर्तन का उद्देश्य
Port Blair Renamed का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश काल के प्रतीकों से बाहर आना है। भारत लंबे समय तक अंग्रेजों के अधीन रहा, और कई शहरों और स्थानों के नाम भी उस समय के शासकों के नाम पर रखे गए थे। पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी आर्चबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। ऐसे में, श्री विजयपुरम नाम स्वतंत्रता संग्राम में अंडमान की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचान देता है और विजय के प्रतीक के रूप में इसे प्रस्तुत करता है। यह कदम औपनिवेशिक छाप से मुक्त होने का प्रतीक है। Port Blair Renamed करके सरकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महिमा को और बढ़ा रही है।
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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का ऐतिहासिक महत्व
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गहरा संबंध है। यह वही स्थान है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार भारतीय ध्वज, तिरंगा, फहराया था। इसके अलावा, यहां स्थित सेलुलर जेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष का साक्षी रहा है। वीर सावरकर सहित कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को यहां ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कैद किया गया था। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, Port Blair Renamed का निर्णय, एक प्रतीकात्मक कदम है जो इस क्षेत्र की भारतीयता को और भी प्रबल बनाता है।
अंग्रेजी प्रतीकों से मुक्ति
मोदी सरकार ने पिछले कई सालों में ऐसे कई नामों को बदलने का फैसला लिया है जो ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतीक थे। इसमें राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना, जॉर्ज पंचम की मूर्ति को हटाकर वहां सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित करना और रेस कोर्स का नाम लोक कल्याण मार्ग करना शामिल है। इसी क्रम में Port Blair Renamed करना, औपनिवेशिक प्रभाव से बाहर निकलने का एक और बड़ा कदम है। यह नाम परिवर्तन न केवल प्रतीकात्मक है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास को और भी सशक्त बनाने की दिशा में है।
सरकार की सोच और भविष्य की योजनाएँ
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि यह नाम परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसमें देश को औपनिवेशिक छाप से मुक्त करना और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीकों को मजबूत करना मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने यह भी बताया कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के सामरिक और विकासात्मक लक्ष्यों में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। Port Blair Renamed का यह निर्णय केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सामरिक भूमिका को भी प्रबल बनाता है।
Port Blair का नाम change करने पर विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस नाम परिवर्तन को लेकर विपक्ष ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने इस कदम पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) केवल नाम बदलने में लगी हुई है, जबकि वास्तविक कार्य पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि Port Blair Renamed का निर्णय भले ही ऐतिहासिक हो, लेकिन सरकार को इस क्षेत्र के विकास और स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में ठोस कदम उठाने चाहिए।
भारतीय जनता की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता के बीच Port Blair Renamed के फैसले को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। कई लोगों का मानना है कि यह कदम देश को अपने औपनिवेशिक अतीत से मुक्त करने और स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास को सम्मान देने के लिए महत्वपूर्ण है। Port Blair Renamed का निर्णय भारतीय जनता के गर्व को बढ़ाने वाला है।
भविष्य की दिशा
Port Blair Renamed के साथ ही, सरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को सामरिक और पर्यटन हब के रूप में भी विकसित करने की योजना बना रही है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का संगम है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। सरकार की यह कोशिश है कि Port Blair Renamed के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन और विकास के नए अवसर भी लाए जा सकें।
Port Blair Renamed का निर्णय केवल एक नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भारत के औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति की दिशा में एक और बड़ा कदम है। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महानता को सम्मान देने और भारतीयता को फिर से स्थापित करने का प्रयास है। विपक्ष द्वारा की गई आलोचनाओं के बावजूद, Port Blair Renamed का यह निर्णय भारत की नई पहचान और भविष्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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